[ बिजली कैसे बनती है 2024 ] जानिए सोलर, पानी, टरबाइन, कोयले, चुंबक, हवा, डैम बिजली कैसे बनती है | Bijli Kaise Banti Hai in Hindi

भारत में बिजली कहां बनती है | टरबाइन से बिजली कैसे बनती है | कोयले से बिजली कैसे बनती है | पानी से बिजली कैसे बनती है | चुंबक से बिजली कैसे बनती है | लाइट कैसे बनती है | हवा से बिजली कैसे बनती है | डैम से बिजली कैसे बनती है आइये जानते है बिजली कहां और कैसे बनती है –

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बिजली कैसे बनती है

हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का तो आज हम जानेंगे कि बिजली कैसे बनती है, तो वास्तव में विद्युत शक्ति को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है | इसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है, यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण है यह कार्य मुख्यतः जनरेटर तथा अल्टरनेट नामक मशीन से के द्वारा किया जाता है –

विद्युत उत्पादन संयंत्र / बिजली कैसे बनती है ?

वह स्थान जहां विद्युत शक्ति का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया जाता है विद्युत उत्पादन संयंत्र कहलाता है विद्युत शक्ति उत्पादन की अनेक विधियां है –

  • ताप विद्युत शक्ति संयंत्र |
  • जल विद्युत शक्ति संयंत्र |
  • डीजल विद्युत शक्ति संयंत्र |
  • परमाणविक शक्ति संयंत्र |
  • अपारम्परिक विद्युत शक्ति संयंत्र |

कोयले से बिजली कैसे बनती है ?

इस विधि में इंधन के रूप में कोयला व गन्ने की खोई एवं चावल की भूसी आदि का इस्तेमाल किया जाता है इसके दहन से ऊष्मा उत्पन्न की जाती है इस ऊष्मा से वाष्प तैयार करके टरबाइन को घुमाया जाता है टरबाइन अल्टरनेटर को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है तो फिर अल्टरनेटर विद्युत शक्ति पैदा करता है वाष्प टरबाइन चलित अल्टरनेटर मध्यम क्षमता वाले होते है |

भारत में ताप विद्युत शक्ति यंत्रों का संचालन अधिकांश नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन” (NTPC) द्वारा संपन्न किया जाता है इसमें अधिकांश चीनी मिल्स में गन्ने की खोई को ईधन के रूप में प्रयोग करके ताप विद्युत शक्ति पैदा करते है इसी प्रकार चावल की भूसी आदि से भी ताप विद्युत शक्ति पैदा की जाती है इस शक्ति उत्पादन संयंत्र की दक्षता लगभग 25% से 30% होती है और इससे भारत में 33KV तक का उत्पादन कोरबा सुपर थर्मल पावर प्लांट में हो रहा है |

बिजली-बनाने-का-प्रमुख-तरीके
बिजली कैसे बनती है

डैम से बिजली कैसे बनती है ?

जल विद्युत शक्ति संयंत्र को किसी नदी या नहर पर बोराज बनाकर जल को एकत्रित किया जाता है और फिर जल को ऊंचाई से गिरा कर जल टरबाइन चलाया जाता है जिससे जल टरबाइन अल्टरनेटर को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है और फिर अल्टरनेटर द्वारा हमें विद्युत शक्ति प्राप्त होती है| इस प्रकार के संयंत्र के अल्टरनेटर की घूर्णन गति कम होती है तथा अल्टरनेट के पोलों की संख्या अधिक रखी जाती है जल विद्युत शक्ति केंद्र की स्थापना लागत या प्रारंभिक लागत अधिक होती है तथा इसकी रनिंग कॉस्ट सभी पावर प्लांट से कम होती है इसका दक्षता 80% से 85% तक होती है |

बिजली कैसे बनती है

जनरेटर में बिजली कैसे बनती है ?

एक डीजल आधारित शक्ति संयंत्र प्राइम मूवर के रूप में डीजल इंजन का प्रयोग करता है जो कि विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न करता है यह साधारण और छोटा होता है इसकी आउटपुट क्षमता 0.5 KVA से 110 KVA तक होती है| इसका प्रयोग आपातकालीन स्थितियों में लिया जाता है यह सीमित मात्रा में विद्युत का उत्पादन करने के लिए किया जाता है क्योंकि डीजल एक महंगा और सीमित मात्रा में उपलब्ध इंधन है |

इसका उपयोग हम विवाह ,उत्सव , फिल्म शूटिंग आदि जगहों पर किया जाता है जहां आस-पास बिजली नहीं है यह आपातकालीन बिजली का स्रोत है क्योंकि यह तीव्रता से चालू होकर कम समय में ही लोड पर कार्य करने में सक्ष्म हो जाता है इसकी दक्षता तापीय शक्ति संयंत्र से अधिक होती है लेकिन डीजल का मुल्य अधिक होने के कारण रनिंग लागत भी अधिक आती है |

परमाणविक विद्युत शक्ति संयंत्र ?

परमाणविक विद्युत शक्ति संयंत्र में जब वाष्प तैयार करने के लिए नाभिकीय रिएक्टर का प्रयोग किया जाता है जिसमें परमाणविक ईंधन प्रयुक्त होती है यह एक ऐसा ईंधन है कि इसकी कम मात्रा में ही अधिक ऊष्मा ऊर्जा पैदा कर सकता है इसमें परमाणविक ईधन के विखंडन से इसमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा ऊर्जा पैदा करता है और फिर वाष्प दाब से टरबाइन को चलाया जाता है और वाष्प टरबाइन अल्टरनेटर को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है |

अल्टरनेटर फिर हमें विद्युत शक्ति प्रदान करता है नाभिकीय ईंधन के रूप में यूरेनियम व थोरियम का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है थोरियम का 80% भंडारण भारत में होता है यूरेनियम के नाभिकीय विखंडन के द्वारा प्लेटिनम भी बनाया जाता है | यह उच्च लोड (80%-90%) पर अच्छा कार्य करता है |

अपारम्परिक विद्युत शक्ति उत्पादन संयंत्र:- ऐसे ऊर्जा स्रोत जिनका भंडारण असीमित है इनका उपयोग हम बार-बार कर सकते है और इन से कोई प्रदूषण नहीं फैलता इसलिए वातावरण भी सुरक्षित रहता है जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार भाटा, बायोगैस आदि |

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बिजली कैसे बनती है

सौर ऊर्जा से बिजली कैसे बनती है ?

सूर्य ऊर्जा का एक विशाल स्रोत है सूर्य से उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं सूर्य की किरणें सौर सेल (EMF=0.55V) पर पड़ने पर सौर सेल को श्रेणी क्रम में लगाकर उनको DC से AC सप्लाई में परिवर्तित करके ट्रांसफार्मर की सहायता से स्टेपअप करके विद्युत की सप्लाई कर देते है और सूर्य का ताप इतना अधिक है कि सभी तत्व नाभिकीय अवस्था में होते हैं तथा इनका वेग इतना अधिक होता है कि परस्पर टकराकर स्वत: ही इनका संलयन हो जाता है और अपार ऊर्जा प्राप्त होती है |

इसकी कुछ हानियां भी है जब बादल होते है तो सौर ऊर्जा पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाती है और सौर ऊर्जा पर आधारित यंत्र बहुत महंगे होते है सौर ऊर्जा आधारित उपकरण सोलर कुकर, सोलर वाटर हीटर, सौर ऊर्जा संग्रहण और फोटोवोल्टाॅइक सेल आदि |

पवन ऊर्जा से बिजली कैसे बनती है ?

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों में मुख्यतः पवन ऊर्जा का प्रमुख स्थान है जैसे कि हम जानते हैं कि सूर्य से आने वाली उसमें ऊर्जा को कारण वातावरण में कुछ भाग गर्म हो जाता है जिससे वायु गर्म होकर ऊपर उड़ती है तो उसका स्थान ठंडी वायु ले लेती है यही प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है इसके कारण पवन चक्की की ब्लेड घूमने लगती है तो इसकी सहायता से फिर अल्टरनेटर यांत्रिक गति प्राप्त करता है तो इस प्रकार हमें विद्युत शक्ति प्राप्त होती है|

इस ऊर्जा का उपयोग बिजली बनाने में वह कुएं से पानी पम्प करने आदि में मुख्यतः किया जाता है पवन ऊर्जा आधारित उपकरण मानक यंत्र एवं ऊर्जा परिवर्तन है ऊर्जा परिवर्तन के अंतर्गत पवन चक्की एवं पवन टरबाइन जनित्र आते है |

बिजली कैसे बनती है

ज्वार भाटा यानि ज्वारीर तरंग से विधुत ?

ज्वारीय ऊर्जा के नवीनीकरण स्रोत के समान कार्य करता है समुंद्र से प्राप्त होने वाली ऊर्जाएँ, ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, समुंद्री तापीय उर्जा होती है ज्वारीय ऊर्जा स्रोत कम प्रचलित होने के कारण यह ऊर्जा स्रोत उतना प्रचलन में नहीं है समुद्र से आने वाला ज्वार-भाटा अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन अधिकतम होता है यह मुक्त रूप से उपलब्ध एवं असीमित ऊर्जा का स्वरूप है यह प्रदूषण रहित प्रक्रिया है इस यंत्र की कीमत बहुत अधिक होती है और इसके निर्माण की समय अवधि भी बहुत अधिक होती है |

टरबाइन से बिजली कैसे बनती है?

उपर दिए गए सभी सयंत्रों में टरबाइन भाग कॉमन / सामान है, टरबाइन एक प्रकार का बड़े आकर का पहिया होता है यह अल्टरनेटर की मुख्य साफ्ट से जुड़ा रहता है जो अल्टरनेटर के आर्मेचर को घुमाने का काम करता है | आर्मेचर के घूर्णन से बिजली उत्त्पन होती है |

भारत में बिजली कहां बनती है?

देश के प्रमुख कोयला चालित बिजली उत्पादन सयंत्र –
तारापुर – महाराष्ट्र
रावतभाटा – राजस्थान
कुडनकुलम – तमिलनाडु
काकरापार -गुजरात
कलपक्कम – तमिलनाडु |

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