इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत | थ्री फेज एसी मोटर के मुख्य भाग | थ्री फेज इंडक्शन मोटर के प्रकार | थ्री फेज इंडक्शन मोटर डायग्राम | थ्री फेज इंडक्शन मोटर किसे कहते है | 3 फेज मोटर कनेक्शन
आज के समय औद्योगिक जगत में और वैद्युत क्षेत्र में थ्री फेज सिस्टम का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान चल रहा है थ्री फेज मोटर इंडक्शन मोटर के बारे में औद्योगिक क्षेत्र हो या थ्योर्रटिकल/सैद्धांतिक ज्ञान में इसको जानना बहुत ही जरूरी है |
थ्री फेज इंडक्शन मोटर एक उच्च शक्ति वाली सेल्फ स्टार्ट मोटर होती है इसका स्टार्टिंग टार्क उच्च होता है इसलिए इसका उपयोग अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में भारी कार्य करने लिए किया जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी –
थ्री फेज इंडक्शन मोटर किसे कहते है ?
थ्री फेज इंडक्शन मोटर एक प्रकार का इलेक्ट्रिक मोटर होता है जो की व्यावसायिक उपयोग में आता है| इस मोटर में फेजो की सख्या तीन होती है यह सेल्फ स्टार्ट मोटर होती है इसमे तीनो फेजो के बीच का कोण 120° होता है| इसका उपयोग बड़े पैमाने पर उच्च शक्ति के उपकरणों में किया जाता है|
थ्री फेज इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत ?
थ्री फेज इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत डीसी मोटर के कार्य सिद्धांत (चुंबकीय खिंचाव सिद्धांत) के समान होता है |
थ्री फेज इंडक्शन मोटर कितने प्रकार की होती है ?
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर निम्न दो प्रकार की होती है –
- स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर
(A) सिंगल केज रोटर प्रकार की (B) डबल केज रोटर प्रकार की
- स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर
थ्री फेज इंडक्शन मोटर में स्लिप रिंग क्या होती है ?
स्लिप रिंग की सहायता से हम AC सप्लाई प्राप्त कर सकते है वाउंड रोटर वाली मोटर की रोटर वाइंडिंग को एक थ्री फेज प्रतिरोध से संयोजित करने के लिए स्लिप-रिंग तथा कार्बन ब्रश प्रयोग किए जाते है और इसलिए ऐसी मशीनों को स्लिप रिंग मोटर कहा जाता है |
उपयोग- स्लिप-रिंग मोटर का उपयोग कंप्रेसर, कन्वेयर, क्रेन, स्टील मील, प्रिंटिंग प्रेस इत्यादि में किया जाता है |
स्लिप किसे कहते है ?
स्लिप सिंक्रोनस गति तथा रोटर गति के बीच के अंतर को स्लिप कहते है |
स्लिप = Ns-Nr
स्लिप अंश S = Ns-Nr/Ns
प्रतिशत स्लिप = Ns-Nr/Ns ×100
रोटर फ्रीक्वेंसी Fr = S×F
रोटर गति किसे कहते है ?
चुंबकीय क्षेत्र के बल के कारण रोटर गति करता है इसलिए रोटर गति सदैव सिंक्रोनस गति से कम होती है |
थ्री फेज इंडक्शन मोटर के मुख्य भाग ?
1. स्टेटर 2. रोटर
1. स्टेटर –
वह भाग जो स्थिर है यानी घूर्णन नही करता है वह स्टेटस कहलाता है यह कास्ट आयरन का बना होता है इसकी बॉडी के ऊपर एक टर्मिनल बॉक्स होता है जिसमें वाइंडिंग के छ: सिरे निकाले जाते है छ: सिरो की सहायता से स्टार्टर या डेल्टा संयोजन किया जा सकता है |
2. रोटर –
रोटर निम्न दो प्रकार के होते है ?
पिंजरा प्रारूप रोटर –
- इस प्रकार के रोटर में मृदु लोहे की बनी साफ्ट के ऊपर सिलिकॉन स्टील स्टेपिंग लगाते है| जिससे खाचे बने होते है सभी खाचे मिलकर एक नाली की आकृति में आकर रोटर वाइंडिंग को स्थान प्रदान करती है |
- इसके अंदर कॉपर या एलुमिनियम के तार की छड़ डालकर तथा इन छड़ो के दोनों सिरो को कॉपर या एलुमिनियम की रिंग से दोनों और से लघुपथित (शार्ट सर्किट) कर दिया जाता है यह छड़े एक दूसरे के समांतर में होती है परंतु साफ्ट के अंश से कुछ कोण पर रखी जाती है जिसे ऐठी स्थिति कहते हैं |
- इस रोटर का प्रारंभिक टर्क कम होता है प्रारंभिक टर्क को अधिक करने के लिए वाउंड रोटर का प्रयोग किया जाता है |
दूहरा पिंजरा प्रारूप रोटर –
- इस प्रकार के रोटर की वाइंडिंग में छड़ो कि एक के स्थान पर दो वाइंडिंग होती है |
- इसकी बाहरी परत की वाइंडिंग का प्रतिरोध कुछ अधिक रखा जाता है जिसे प्रारंभिक उच्च बल आघूर्ण प्राप्त हो सके |
- इसके लिए निचे वाली वाइंडिंग कॉपर की तथा ऊपर वाली वाइंडिंग पीतल की बनी होती है जब रोटर गति करता है तो इसका प्रारंभिक टर्क अधिक होता है |
वाउंड रोटर –
- इसका मुख्य उपयोग तब किया जाता है जब हमें प्रारंभिक टर्क के साथ-साथ गति पर भी अधिकतम बल आघूर्ण की आवश्यकता होती है |
- इस रोटर का उपयोग करने के लिए रोटर के ऊपर वाइंडिंग को उसी प्रकार स्थापित किया जाता है जैसे कि स्टेटर वाइंडिंग के ऊपर किया जाता है |
- इसकी सॉफ्ट की एक सिरे पर लगी स्लिप रिंग से वाइनिंग को जोड़ दिया जाता है और इससे ब्रश का प्रयोग करने से रोटर वाइनिंग बाह्यय परिपथ से संपर्क करेगा इस प्रकार के रोटर के प्रतिरोध को बदल कर अधिकतम बलाघूर्ण प्राप्त किया जा सकता है और इस मोटर को स्लिप रिंग मोटर कहते है |
- इसका उपयोग कंप्रेसर, कन्वर्ट, क्रेन, तथा स्टील मेल में किया जाता है |
पिंजरा प्रारूप रोटर एवं वाउंड रोटर में मुख्य अंतर ?
पिंजरा प्रारूप रोटर | वाउंड रोटर |
– प्रारंभिक बल आघूर्ण कम होता है | – रोटर की क्रोड़ में तांबे की छड डालकर सिरो को लघुपथित कर दिया जाता है | – इसकी मरम्मत शून्य है | – इसमें प्रारंभिक धारा उच्च होती है | – गति का नियंत्रण कठिन होता है | – इसमें पावर फेक्टर 0.7 से 0.85 होता है | – इसमें ताम्र हानि कम होती है | – इसका उपयोग लेथ मशीन अथवा आटा चक्की में होता है | | – प्रारंभिक बल आघूर्ण अधिक होता है | – रोटर में स्टेटर की तरह वाइंडिंग की जाती है | – ब्रश तथा स्लिप रिंग की मरम्मत आवश्यकता होती है | – इसमें प्रारंभिक धारा निम्न होती है | – गति नियंत्रण आसान होता है | – इसमें पावर फैक्टर .8 से .9 होता है | – इसमें ताम्र हानि अधिक होती है | – इसका उपयोग क्रेन तथा लिफ्ट में होता है | |
इंडक्शन मोटर के कितने भाग होते है?
थ्री फेज इंडक्शन मोटर के मुख्य: दो भाग होते है – 1.स्टेटर 2.रोटर
रोटर गति किसे कहते है?
चुंबकीय क्षेत्र के बल के कारण रोटर गति करता है इसलिए रोटर गति सदैव सिंक्रोनस गति से कम होती है |
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