विवादित जमीन पर स्टे कैसे लें :- यदि आपकी सम्पति पर कोई दूसरा व्यक्ति अधिकार जम लेता है, उस व्यक्ति के द्वारा यह दावा किया जा रहा है की वह जमीन उसकी है या फिर जमीन पर कब्जा कर लेता है तो आपको इस परिस्थिति में कोर्ट जाकर सिविल जज के सामने एक वाद पत्र प्रस्तुत करना होता है तो, आइए जानते है की विवादित जमीन पर स्टे कैसे लें –
आज का यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको कई आवश्यक जानकारी देंगे जैसे की- स्टे का मतलब क्या होता है? जमीन पर स्टे लगाने के लिए जरूरी दस्तावेज? जमीन पर स्टे लगाने के नियम? स्टे आर्डर का पालन न करने पर क्या होगा? जमीन पर स्टे लगाने से क्या होता है? विवादित जमीन पर स्टे कैसे लें? स्टे कितने प्रकार का होता है? आदि की जानकारी आपको यहां देखने को मिलेगी –
स्टे का मतलब क्या होता है?
आपकी जानकारी के लिए बता दे की स्टे का अर्थ रोक होता है तथा ऑर्डर का अर्थ है निर्माण | इस तरह से रोक वाले निर्माण को ही स्टे ऑर्डर कहा जाता है| स्टे ऑर्डर के तहत विवादित जमीन पर किसी कार्य की गतिविधि को रोक दिया जाता है जैसे की मकान के निर्माण पर, जमीन के बंटवारा आदि |
जमीन पर स्टे लगाने के लिए जरूरी दस्तावेज ?
- मूल कर भरी हुई संपत्ति कर रसीद
- राजस्व विभाग से प्रमाणित जमाबंदी
- जमीन के स्वामित्व से संबंधित कागजात
- नक्शा या ब्लॉक डायाग्राम
- जमाबंदी की नक़ल
स्टे कितने प्रकार का होता है?
जमीन स्टेट ऑर्डर दो प्रकार के होते है –
- पहले, तहसीलदार द्वारा जारी किए जाने वाले अनुमति पत्र को जमीन स्टेट ऑर्डर के रूप में गिना जाता है|
- दूसरा प्रकार का जमीन स्टेट ऑर्डर भूमि के सीमाओं की निर्धारण तथा उनके स्वामित्व के बारे में विवाद होने पर न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है|
विवादित जमीन पर स्टे कैसे लें?
- विवादित जमीन के मामले में आपको न्यायलय में जाना होगा|
- स्थानीय न्यायालय द्वारा जमीन स्टेट ऑर्डर जारी किया जा सकता है|
- जमीन स्टेट ऑर्डर एक आदेश होता है जो जमीन के स्वामित्व और सीमाओं के बारे में विवाद में स्थित सभी पक्षों के लिए लागू होता है|
- जमीन स्टेट ऑर्डर जारी करने के लिए, आपको स्थानीय न्यायालय में एक आवेदन दाखिल करना होगा|
- आवेदन में आपको जमीन के स्वामित्व और सीमाओं के बारे में अपने दावे को स्पष्ट रूप से बताना होगा|
- न्यायालय जमीन स्टेट ऑर्डर जारी करता है जो इस विवाद के संबंध में सभी पक्षों के लिए लागू होता है|
- इसके बाद न्यायालय जो भी आदेश जारी करती है, वह आवेश दोनो को मान्य करना होगा|
- किसी कारण से यदि जमीनदार आदेश से खुश नही है तो वह उच्च न्यायालय में भी जा सकता है|
- अधिक जानकारी के लिए आप वकील की राय भी लें सकते है|
जमीन पर स्टे लगाने से क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति या संगठन जमीन पर स्टे ऑर्डर जारी होने के लिए आवेदन करता है, तो उस समय जमीन पर स्टे लगाई जाती है ताकि कोई उस जमीन पर कोई अन्य कार्यवाही न कर सके| जमीन पर स्टे लगाने से जमीन के स्वामी द्वारा उस पर किसी भी तरह की व्यवस्था या बिक्री की कोई अनुमति नहीं होती है| यह स्थानीय अधिकारियों द्वारा निर्धारित अवधि तक लगाई जाती है जो आमतौर पर 60 दिनों तक होती है|
जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्चा आता है?
जमीन पर स्टे लेने में खर्चे का मूल्य विभिन्न होता है और यह भूमि के क्षेत्रफल, स्थान, और संगठन आदि के आधार पर अलग-अलग होता है| आमतौर पर विभिन्न फीसों की आवश्यकता होती है जैसे कि आवेदन शुल्क, प्रकाशित कर, नोटिस और सेवा शुल्क, स्थानीय कटौती शुल्क और निर्धारित अवधि के लिए अतिरिक्त शुल्क|
स्टे आर्डर का पालन न करने पर क्या होगा?
यदि कोई न्यायालय के इस स्टे ऑर्डर का पालन नही करता है तथा इसे नही मानता है तो, यह कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट समझा जाता है तथा उस पर मुकदमा भी दायर किया जा सकता है| आदेश न मानने की स्थिति में उस व्यक्ति को 6 माह तक की जेल तथा 2 हजार रुपए का जुर्माना की सजा भी दी जा सकती है|
जमीन पर स्टे लगाने के फायदे ?
- इससे विवादित जमीन की समस्या स्थाई रूप से दूर हो जाती है|
- जमीन के मालिक या संपत्ति के अधिकारों के बारे में सही जानकारी प्रदान करता है|
- जमीन पर स्टे लगाने से जमीन के अधिकारों और संपत्ति के उपयोग में अन्य व्यक्तियों द्वारा किये गए अवैध कब्जों को रोका जा सकता है|
- जमीन के संबंध में विवाद को समझने में मदद करता है|
जमीन पर स्टे लगाने के नियम?
- जब तक जमीन के मालिकाना हक का स्थायी रूप से फैसला नहीं होता है, तब तक संभवतः विवादित स्थान पर स्थगित रखा जाना|
- जब एक व्यक्ति जमीन पर स्टे लगाना चाहता है, तो उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उस जमीन के सामने वास्तविक मालिक है|
- स्टे आर्डर जारी करने वाले व्यक्ति को जमीन पर स्टे लगाने के नियमों का पूरा पालन करना चाहिए|
स्टे क्यों दिया जाता है?
जब दो पक्षों के बीच जमीन के मालिकाना हक के संबंध में कोई विवाद होता है और किसी एक पक्ष को लगता है कि उनके हक का उल्लंघन हो रहा है|
जमीन पर स्टे कितने दिन में मिलता है?
ऑर्डर को जारी करने के लिए न्यायालय अपनी और से निर्धारित समय सीमा तय करता है जो कि कुछ हफ्तों या महीनों तक जाना जा सकता है|
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