तुल्यकालिक मोटर कार्य सिद्धांत | सिंक्रोनस मोटर के प्रकार | तुल्यकालिक गति क्या है | सिंक्रोनस मोटर का उपयोग | सिंक्रोनस मोटर क्या है | सिंक्रोनस मोटर की क्या विशेषता है
बिना गतिरोध के साथ एकसमान स्पीड में चलने वाली वैधुत मोटर को सिंक्रोनस / तुल्यकालिक मोटर कहते है | हेलो दोस्तों आज हम बात करेंगे कि सिंक्रोनस मोटर क्या होती है और यह किस सिद्धांत पर काम करती है, एकसमान गति पर बने रहने का कारण, तो आइये विस्तार से चर्चा करेंगे सिंक्रोनस मोटर के बारे में –
सिंक्रोनस मोटर क्या है / किसे कहते है ?
नियत गति पर घूमने वाली वैधुतिक मोटर, सिंक्रोनस या तुल्यकाली मोटर कहलाती है, इसकी गति घटते-बढ़ते भार पर भी नियत रहती है |
सिंक्रोनस मोटर की विशेषता ?
सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर की महत्वपूर्ण विशेषता इनकी नियत घूर्णन गति है इसलिए ऐसे कार्यों में जिनमें नियत घूर्णन गति आवश्यक हो वहा सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर का उपयोग किया जाता है | उदाहरण – रोलिंग काम कारखाने तथा पेपर मिल आदि |
सिंक्रोनस मोटर का कार्य सिद्धांत ?
सिंक्रोनस मोटर चुंबकीय लॉकिंग के सिद्धांत पर कार्य करती है |
- इसमें स्टेटस तथा रोटर में धुव्र यदि समान हो तो प्रतिकर्षण होती है और असमान हो तो आकर्षण होता है |
- यदि हम AC सप्लाई मे S-N-S आर्मेचर के धुव्र है जब धनात्मक (+) पल्स दी जाती है और यह धुव्र N-S-N हो जाती है जब इसे ऋणात्मक (-) पल्स दी जाती है |
- यह मोटर स्वयं स्टार्ट नहीं हो पाती इसलिए इसको घूर्णन गति कराने के लिए स्टार्टर की आवश्यकता होती है |
सिंक्रोनस मोटर की घूर्णन गति ?
तुल्यकालिक घूर्णन गति (Ns) सूत्र = F×120/p
F – फ्रीक्वेंसी Hz
P – पोल्स की संख्या
सिंक्रोनस मोटर के प्रकार ?
सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर मुख्यत: निम्न दो प्रकार की होती है –
(1) सामान्य सिंक्रोनस मोटर
(2) ऑटो सिंक्रोनस मोटर
सामान्य सिंक्रोनस मोटर:-
सामान्य सिंक्रोनस मोटर के मुख्य: भाग निम्न है-
- स्टेटर
- रोटर
- एक्साइटर
- प्राइम मूवर
- स्टेटर में थ्री फेज सप्लाई दी जाती है तथा रोटर में एक्साइटर के द्वारा DC वोल्टेज प्रदान किया जाता है | (110 वोल्ट से 250 वोल्ट तक)
- आर्मेचर की वाइंडिंग स्टेटस के ऊपर होती है |
- प्राइम मूवर की सहायता से इस को सर्वप्रथम घुमाया जाता है तथा जब यह अपनी सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) गति प्राप्त कर लेता है तो प्राइस मूवर को इसके द्वारा शाफ्ट से हटा दिया जाता है |
- सामान्य लोड तथा शुन्य लोड पर सिंक्रोनस मोटर की गति अपरिवर्तित रहती है परंतु लोड का मान निर्धारित वोल्टेज से कुछ अधिक होता है तो मोटर की घूर्णन गति घटती है एवं मोटर बंद हो जाती है |
- वोल्टेज को परिवर्तन करने पर इसकी गति पर बहुत ही कम प्रभाव पड़ता है परंतु वोल्टेज 5% से 10% परिवर्तित हो जाए तो मोटर की घूर्णन गति रुक जाएगी |
- इसका उपयोग विद्यु त प्रसारण लाइन में पावर फैक्टर सुधारने के लिए तथा नियत गति पर घूर्णन करने वाले कंप्रेसर तथा पंप इत्यादि में प्रयोग किया जाता है |
- पावर फैक्टर को सुधारने के लिए सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर को पारेषण लाइन के समांतर में जोड़ा जाता है |
ऑटो सिंक्रोनस मोटर –
- इस प्रकार की मोटर के रोटर पर थ्री फेज स्लिप रिंग वाइंडिंग स्थापित की जाती है |
- थ्री फेज स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर की भांति इस वाइनिंग को थ्री फेज रियोस्टेड से संयोजित किया जाता है मोटर की शाफ्ट पर एक और तीन स्लिप रिंग होती है तथा दूसरी और एक एक्साइटर स्थापित होता है |
- प्रारंभ में यह मोटर स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर की भाती सेल्फ स्टार्ट हो जाती है और जब यह मोटर सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) गति प्राप्त कर लेती है तो चेंज ओवर स्विच के द्वारा थ्री फेज रियोस्टेट को परिपथ से बाहर कर देते है और स्लिप रिंग को रन स्विच स्थिति में जोड़ते जोड़ देते है |
- जब रन स्थिति में जोड़ देते है तो रोटर की एक वाइंडिंग में पूर्ण रोटर करंट तथा शेष दो वाइंडिंग में आधी रोटर करंट प्रवाहित होती है |
ऑटो सिंक्रोनस मोटर की मुख्य विशेषता –
- इस मोटर का पावर फैक्टर इकाई होता है |
- मोटर लोड पर भी सेल्फ स्टार्ट हो जाती है मोटर को चालू करने के लिए प्राइम मूवर की आवश्यकता नहीं होती है |
ऑटो सिंक्रोनस मोटर का उपयोग –
ऑटो सिंक्रोनस मोटर का उपयोग सीमेंट रोलिंग को टर्न तथा पेपर मिल में भारी लोड वाले कार्य भी नियत घूर्णन गति से करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
सेलिएण्ट पोले टाइप ऑटो सिंक्रोनस मोटर –
इस प्रकार के मोटर में सेलिएण्ट अर्थात उभरे हुए पोल बनाए जाते है इन पोल पर गहराई में वाइनिंग को स्थापित किया जाता है जिसे उत्तेजना अधिक होती है और इसके पोल के ऊपर शॉर्ट सर्किट तांबे के चालक पर स्थापित किए जाते है |
यह मोटर भारी लोड पर कार्य नहीं कर सकती इसमें बाह्य रियोस्टेट तथा चेन्ज ओवर की आवश्यकता नहीं होती है |
इसके अलावा विद्युत वितरण लाइन में पावर फैक्टर को सुधारा जाता है, इसके लिए वितरण लाइन के समांतर में लगाया जाता है |
सिंक्रोनस मोटर का पावर फैक्टर क्या होता है ?
सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर लीडिंग, लैगिंग तथा इकाई किसी भी पावर फैक्टर पर कार्य कर सकती है |
• सिंक्रोनस मोटर कि क्षेत्र उत्तेजना सामान्य रखने पर मोटर इकाई पावर फैक्टर पर कार्य करती है |
• सिंक्रोनस मोटर की क्षेत्र उत्तेजना सामान्य से कम करने पर लैगिंग (पश्चगामी) पावर फैक्टर प्राप्त होता है |
• सिंक्रोनस मोटर की क्षेत्र उत्तेजना सामान्य से अधिक करने पर लिडिंग (अग्रगामी) पावर फैक्टर प्राप्त होता है |
• सिंक्रोनस मोटर लिडिंग पावर फैक्टर पर सिंक्रोनस कंडेंसर मोटर की भांति कार्य करती है |
जब सिंक्रोनस मोटर लैगिंग पावर फैक्टर पर कार्य करती है तो रिलक्टेन्स कहलाता है |
हंटिंग दोष किसे कहते है?
सिंक्रोनस मोटर में हंटिंग दोष विधमान होता है जिसके कारण लोड में थोड़ी सी भी वर्दी हो जाने पर मोटर का रोटर कंपन करने लगता है | इसलिए हंटिंग दोष को दूर करने के लिए फिल्डो पर डैम्पर वाइंडिंग स्थापित की जाती है |
सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर को चालू करने की विधिया कौन-कौनसी है ?
(1) पोनी मोटर द्वारा:-
- थ्री फेज इंडक्शन प्रकार की एक मोटर होती है जिसमें पोलो की संख्या सिंक्रोनस मोटर से कम होती है तथा इसकी गति सिंक्रोनस मोटर से अधिक होती है |
- पोनी मोटर कि शाफ्ट को सिंक्रोनस मोटर की शाफ्ट के साथ जोड़ दिया जाता है जब मोटर अपनी सिंक्रोनस गति पर घूमना प्रारंभ करती है तो पानी मोटर को बंद कर दिया जाता है |
- चुंबकीय लॉकिंग के कारण सिंक्रोनस मोटर अपनी सिंक्रोनस स्पीड पर चलने लगती है |
- इसमें सिंक्रोनस मोटर के रोटर पोल को उसी समय एक्साइटर द्वारा डीसी वोल्टेज प्राप्त होना प्रारंभ हो जाता है |
(2) डीसी मोटर के द्वारा:-
- इसमें सिंक्रोनस मोटर को प्रारंभिक घूर्णन गति डीसी कंपाउड मोटर द्वारा प्रदान की जाती है |
- जब सिंक्रोनस मोटर की गति सिंक्रोनस गति के बराबर होने लगती है तो इसे बंद कर दिया जाता है |
(3) सेल्फ स्टार्टिग विधि:-
ऑटो सिंक्रोनस मोटर सेल्फ स्टार्ट होती है | सिंक्रोनस मोटर लैगिंग व लीडिंग दोनों पावर फैक्टर पर कार्य करती है जबकि इंडक्शन मोटर लैगिंग पर कार्य करती है |
सिंक्रोनस मोटर का टार्क कितना होता है?
सिंक्रोनस (तुल्यकालिक) मोटर का स्टार्टिग टार्क शून्य होता है तथा सिंक्रोनस मोटर की गति को Ns से प्रदर्शित करते है और सिंक्रोनस मोटर की घूर्णन गति टेकोमीटर के द्वारा मापी जाती है |
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